✍सिंधु घाटी सभ्यता(हड़प्पा सभ्यता) से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य✍



सर्वप्रथम 1921 ईस्वी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अध्यक्ष जॉन मार्शल के निर्देशन में हड़प्पा की खोज दयाराम साहनी ने की थी ।


सिंधु घाटी सभ्यता का समूचा क्षेत्र त्रिभुजाकार है जिसका क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर है।


 इस सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत अन्नागार है।


 हड़प्पा से कब्रिस्तान R-37 प्राप्त हुआ है।


 हड़प्पा से कांसे का इक्का एवं मजदूरों की आवास दर्पण तथा सर्वाधिक अभिलेख युक्त मुहरें प्राप्त हुई है।


 मोहनजोदड़ो का अर्थ होता है मृतकों का टीला कांसे की नर्तकी तथा दाढ़ी वाले साधु की मूर्ति मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है।


 मोहनजोदड़ो का सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार एवं वृहद इमारत अन्नागार है ।



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कालीबंगा का अर्थ काले  रंग की चूड़ियां हैं कालीबंगा से भूकंप के प्राचीनतम साक्ष्य ऊंट की हड्डियों जुते हुए खेत के प्रमाण हवन कुंड तथा शल्य चिकित्सा के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।


 चन्हूदडों से मनके बनाने का कारखाना बिल्ली का पीछा करता हुआ कुत्ता तथा सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयुक्त लिपस्टिक का साक्ष्य प्राप्त हुआ है ।


चन्हूदडों एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां से वक्राकार ईट मिली हैं।


लोथल से गोदीवाड़ा के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। लोथल से स्त्री पुरुष शवाधान के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।


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 बनावली से अच्छे किस्म का जौं , तांबे का वाणाग्र तथा पक्की मिट्टी के बने हल की आकृति का खिलौना प्राप्त हुआ है।


सुरकोटड़ा से घोड़े की अस्थियों तथा एक विशेष प्रकार की कब्र प्राप्त हुई है ।


सुत्कागेण्डोर का दुर्ग एक प्राकृतिक चट्टान पर बसाया गया था ।


सिंध  से बाहर सिर्फ कालीबंगा की मुहर पर बाघ का एक चित्र मिलता है।


 सर्वाधिक संख्या में मुहरें मोहनजोदड़ो से प्राप्त की है जो मुख्यतः चौकोर हैं।


 चन्हूदडों ही एकमात्र ऐसा सैन्धव स्थल था जो दुर्गीकृत नहीं था।


 हाथी दांत पर शिल्प कर्म के साक्ष्य मोहनजोदड़ो से मिले हैं।


 चावल की खेती का प्रमाण लोथल एवं रंगपुर से प्राप्त हुआ है सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय सिंधु सभ्यता के लोगों को दिया जाता है ।


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सिंधु सभ्यता के लोग सूती एवं ऊनी दोनों प्रकार के वस्तुओं का उपयोग करते थे।


 घोड़े के अस्तित्व के संकेत मोहनजोदड़ो, लोथल , शुर्तघोई एवं सुरकोटड़ा से प्राप्त हुए हैं।


 कूबड  वाला सॉड सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे प्रिय पशु था।


 मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहर पर पशुपति शिव की आकृति से गेंडा ,भैंसा , हाथी, बाघ एवं हिरण की उपस्थिति के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।


 भारत में चांदी सर्वप्रथम सिंधु सभ्यता में पाई गई है।  सेंधव कालीन लोगों ने लेखन कला का आविष्कार किया था।


हड़प्पा के पश्चात 1922 ईस्वी में राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो नामक स्थल की खोज की।




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भारत में सर्वाधिक सेंधव स्थल गुजरात में पाए गए हैं।


सिंधु कालीन सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) कांस्य युगीन सभ्यता थी।


हड़प्पा सभ्यता का समाज मातृ सत्तात्मक था।


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 हड़प्पा सभ्यता के आर्थिक जीवन का मुख्य आधार कृषि था।


 विश्व में सर्वप्रथम यही के निवासियों ने कपास की खेती प्रारंभ की थी मेसोपोटामिया में कपास के लिए सिंध शब्द का प्रयोग किया जाता था। यूनानियों ने इसे सिण्डन कहा, जो सिंधु का ही यूनानी रूपांतरण है।


हड़प्पा सभ्यता में आंतरिक तथा विदेशी दोनों प्रकार का व्यापार होता था व्यापार वस्तु विनिमय के द्वारा होता था।


माप तौल की इकाई संभवतः 16 के अनुपात में थी।


इस काल में मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं।


हड़प्पा सभ्यता में शवों को दफनाने एवं जलाने की प्रथा प्रचलित थी।


मानव शास्त्रियों के अनुसार 4 जाति समूह प्रोटो , आॅस्ट्रेलॉयड, भूमध्य सागरीय मंगोलियन एवं अल्पाइन द्वारा इस सभ्यता का निर्माण हुआ था।

 अग्निकुंड  लोथल एवं कालीबंगन से प्राप्त हुए हैं।


सिंधु सभ्यता में मुख्य फसल गेहूं और जौ थी।


संभवतः हड़प्पा संस्कृति का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था।


सिंधु सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाइन किए हुए लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे।


सिंधु घाटी के लोग तलवार से परिचित नहीं थे।


कालीबंगन एकमात्र हड़प्पा कालीन स्थल था जिस का निचला शहर(सामान्य लोगों के रहने हेतु) भी किले से गिरा हुआ था।


आग में पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता है।