अलंकार भाग - 01
अलंकार वाणी के श्रंगार है भाषा और साहित्य का सारा कार्य व्यापार शब्द और अर्थ पर ही निर्भर है अत एव विशिष्ट शब्द चमत्कार अथवा अर्थ वैशिष्टि्य ही कथन सौंदर्य की अभिवृद्धि करता है
अलंकार वर्गीकरण -
सर्वप्रथम आचार्य वामन नेवरी करत करने का प्रयास किया और उसे दो भागों में बांटा-
1- शब्दालंकार
2- अर्थालंकार
1- शब्दालंकार
शब्दालंकार वे अलंकार है जहां शब्द विशेष के ऊपर अलंकार की निर्भरता को शब्दालंकार ने शब्द विशेष के प्रयोग के कारण ही कोई चमत्कार उत्पन्न होता है उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी दूसरे शब्दों को रख देने पर उसका सौंदर्य समाप्त हो जाता है
उदाहरण
वह बांसुरी की धुनि कानि परै,
कुल कानि हियो तजि भाजति है ।
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में कानि शब्द दो बार आया है पहले शब्द कानि का अर्थ है कान और दूसरे कानि का अर्थ है मर्यादा इस प्रकार एक ही शब्द दो अलग-अलग अर्थ देगा चमत्कार उत्पन्न कर रहा है इस प्रकार का शब्द प्रयोग शब्दालंकार कहलाता है।
अलंकार के भेद
1- अनुप्रास अलंकार
2-यमक अलंकार
3- श्लेष अलंकार
4- वक्रोक्ति अलंकार
5- वीप्सा अलंकार
1- अनुप्रास अलंकार
परिभाषा - जिन रचना में व्यंजनों की बार-बार आवृत्ति के कारण चमत्कार उत्पन्न हो वह अनुप्रास अलंकार होता है
उदाहरण- कुल कानन कुंडल मोर पंखा,
उर पे बनमाल विराजित है।
इस काव्य पंक्ति में के वर्ण की 3 बार और ब वर्ण की 2 बार आवृत्ति होने से चमत्कार आ गया है।
2- यमक अलंकार
परिभाषा - जब कविता में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो, वहां यमक अलंकार होता है।
उदाहरण-
(१) काली घटा का घमंड घटा ,
नभ मंडल तारक वृंद खिले।
(२) कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाएं बौराए जग, या पाए बौराय।।
(कनक= सोना , कनक= धतूरा)
3- श्लेष अलंकार
परिभाषा- श्लेष का अर्थ है "चिपकाना" । जहां एक शब्द एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो अर्थ दे वहां श्लेष अलंकार होता है।
दूसरे शब्दों में जहां एक ही शब्द से दो अर्थ चिपके हों वहां श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण-
मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियां।
(कलियां= (क) खिलने से पूर्व फूल की दशा;
(ख) यौवन से पहले की अवस्था)
4- वक्रोक्ति अलंकार
परिभाषा- जहां बात किसी एक आशय से कही जाए और सुनने वाला उससे भिन्न दूसरा अर्थ लगा दे, वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण
कैसो सूधी बात में बरतन टेढों भाव।
वक्रोक्ति तासो कहै सही सबै कविराय।।
को तुम? है घनश्याम हम, तो बरसो कित जाय।
नहि, मनमोहन है प्रिये, फिर क्यों पकरत पायॅ।।
5- वीप्सा अलंकार
परिभाषा- जब अत्यंत आदर के साथ एक शब्द की अनेक बार आवृत्ति हो तो वहां वीप्सा अलंकार होगा।
एक शब्द बहुत बार जहं,अति आदर सो होइ।
ताहि वीपसा कहत हैं कवि कोविद सब कोइ।।
उदाहरण-
हां! हां!! इन्हें रोकने को टोक न लगावौ तुम।
यहां हां! की पुररुक्ति द्वारा गोपियों का विरह।
जनति आवेग व्यक्त होने से वीप्सा अलंकार है।
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