मुहावरे (Hindi Idioms)
मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश है जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर विशेष अर्थ का बोध कराता है । वाक्य में इसका प्रयोग क्रिया के समान होता है, जैसे- ‘आकाश-पाताल एक करना’ । इस वाक्यांश का सामान्य अर्थ है ‘पृथ्वी और आकाश को मिलाना’ लेकिन ऐसा सम्भव नहीं है । अत: इसका लक्षण शब्द-शक्ति से विशेष अर्थ होगा ‘बहुत परिश्रम करना’ । इसी प्रकार ‘अंगारे बरसना’ का अर्थ होगा ‘बहुत तेज धूप पड़ना’ ।

1. अंगूठा दिखाना (मना करना) – जब मैंने अपने मित्र से सहायता मांगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया ।
2. अकल का अच्छा होना (बेवकूफ होना) – उसे समझाने की कोशिश करना व्यर्थ है । वह तो पूरा अकल का अँधा है.
3. अंग-अंग ढीला होना (थक जाना) – दिन भर परिश्रम करने में मेरा अंग- अंग ढीला हो गया है ।
4. अन्धे की लकड़ी (एकमात्र सहारा) – मोहन अपने बूढ़े माता-पिता के लिए अन्धे की लकड़ी है ।
5. अन्धे को दीपक दिखाना (नासमझ को उपदेश देना) – भगवान कृष्ण दुर्योधन के धृष्टतापूर्ण व्यवहार से समझ गए थे कि उसे उपदेश देना मधे को दीपक दिखाना है ।
6. अपना उन्न सीधा करना (अपना मतलब निकालना) – स्वार्थी मित्रों से बचकर रहना चाहिए । उन्हें तो अपना उल्लू सीधा करना आता है ।
7. अकल मारी जाना (घबरा जाना) – प्रश्न-पत्र देखते ही शांति की अकल मारी गई ।
8. अकल चरने जाना (सोच-समझकर काम न करना) – बना बनाया मकान तुड़वा रहे हो, इसे बनवाते समय क्या तुम्हारी अकल चरने गई थी ।
9. अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) – अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं होता इसलिए सब से मिल-जुलकर रहना चाहिए ।
10. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (अपनी तारीफ खुद करना) – वीर अपने मुँह मियाँ मिट्ठू नहीं बनने वे तो वीरता दिखाते हैं.
11. आँख उठाना (नुकसान पहुँचाना) – यदि तुमने मेरी ओर आँख उठा कर देखा तो मुझ से बुरा कोई न होगा ।
12. आँखें चार होना (आमने-सामने होना) – पुलिस से आँखें चार होते ही चोर घबरा गया ।
13. आँखें चुराना (नजर बचाना) – सुरेश ने कृष्ण से सौ रुपए उधार लिए थे । अब उसे देखते ही उस से आँखें चुराने लगता है ।
14. आँखें दिखाना (क्रोध करना) – कक्षा में शोर सुनकर जैसे ही अध्यापक ने आँखें दिखाई कि सब चुप हो गए ।
15. आँखें फेरना (प्रतिकूल होना) – मतलबी लोग अपना काम होते ही आँखें फेर लेते हैं ।
16. आँखें खुलना (अकल आना) – कुणाल को समझाने से कोई लाभ नहीं है जब उसे ठोकर लगेगी तो उसकी आँखेंखुल जाएंगी ।
17. आँखों का तारा (बहुत प्यारा) – राम दशरथ की आँखों के तारे थे ।
18. आँखों में खटकना (बुरा लगना) – अनुशासनहीन बच्चे सब की आँखों में खटकते हैं ।
19. आँच न आने देना (नुकसान न होने देना) – माँ अपनी सन्तान पर आँच नहीं आने देती ।
20. कान खा लेना (किसी बात को बार-बार कहना) – सुचित्रा ने सुबह से पिकनिक पर जाने की रट लगाकर अपनी माता के कान खा लिए ।
21. कान पर जूँ न रेंगना (कोई असर नहीं होना) – रजनी को चाहे कितना भी समझाते हो उसके कान पर जूँ नहीं रेंगती है.
22. कान में पड़ना (सुनाई देना) – चिल्ला क्यों रहे हो, तुम्हारी बातें मेरे कान में पड़ रही हैं ।
23. कानों को हाथ लगाना (तौबा करना) – कानों को हाथ लगाकर कहती हूँ कि अब कभी झूठ नहीं बोलूंगी।
24. गड़े मुर्दे उखाड़ना (बीती हुई बातों को कहना) – रवि वर्तमान की बात नहीं करता, हमेशा गड़े मुर्दे उखाड़ता रहता है
25. गागर में सागर भरना बड़ी बात थोड़े से शब्दों से कहना) – बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है ।
26. गुदड़ी का लाल (सामान्य परन्तु गुणी) – सतीश एक गरीबी रिक्शेवालों का पुत्र था लेकिन उसने भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सिद्ध कर दिया है कि वह तो गुदड़ी का लाल है ।
27. घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुःखी करना) – महंगाई के इस युग में निर्धन कर्मचारियों के भत्ते बन्द करना घाव पर नमक छिड़कना है ।
28. घी के दिये जलाना (बहुत प्रसन्न होना) – अपने सैनिकों की विजय का समाचार सुनकर भारतवासियों ने घी के दिये जलाए ।
29. चादर के बाहर पैर पसारना (आय से अधिक खर्च करना) – चादर के बाहर पैर पसारने वाले लोग सदा दुःखी रहते है ।
30. चूड़ियाँ पहनना (कायर) – जो सैनिक युद्ध में जाने से डरते हैं, उन्हें घर में चूड़ियाँ पहन कर बैठना चाहिए ।
31. चोली-दामन का साथ (सदा साथ रहना) – राम शाम चाहे कितना झगड़ा कर लें फिर भी उनमें चोली दामन का साथ है क्योंकि वे एक-दृस्रे के बिना रह नहीं सकते ।
32. छोटा मुँह बड़ी बात (अपनी हैसियत से बढ्कर बात करना) – चींटी ने कहा मैं हाथी को मार दूँगी । उस का ऐसा कहना तो छोटा मुँह बड़ी बात है ।
33. टस से मस न होना (परवाह नहीं करना) – शिव को कितना भी समझाओ कि बुरे लोगों का साथ नहीं करो, परन्तु वह तो टस से मस नहीं होता और उन्हीं लोगों का साथ करता है ।
34. दिन फिरना (भाग्य बदलना) – कभी दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि सबके दिन फिरते हैं ।
35. धूप में बाल सफेद न होना (अनुभवी होना) – देखो, मेरा कहना मान लो, मैंने धूप में बाल सफेद नहीं किए ।
36. निन्यानवे के फेर में पड़ना (असमंजस में पड़ना) – निन्यानवे के फेर में पड़कर मनुष्य का जीवन दुखी हो जाता है ।
37. पगड़ी उछालना (अपमान करना) – बड़ों की पगड़ी उछालना बुरी बात है ।
38. पत्थर की लकीर होना (पक्की बात होना) – सरदार पटेल का कहना पत्थर की लकीर होता था ।
39. पाँचों उंगलियाँ घी में होना (बहुत लाभ होना) – वस्तुओं के भाव चढ़ जाने से व्यापारियों की पाँचों उंगलियाँ घी में होती हैं ।
40. भीगी बिल्ली बनना (भयभीत हो जाना) – पुलिस को देखते ही चोर भीगी बिल्ली बन गया ।
41. भैंस के आगे बीन बजाना (समझाने पर भी कोई प्रभाव न होना) – नशे वाले को कितना भी नशा छोड़ने के लिए कहो उसके सामने सब कुछ कहना तो भैंस के आगे बीन बजाने जैसा ही होता है ।
42. मिट्टी का माधो (कुछ न करने वाला) – जतिन बिलकुल मिट्टी का माधो है, उसे कितना ही समझाओ उस पर कोई असर नहीं होता ।
43. फूँक-फूँक कर कदम रखना (सावधानी से काम करना) – आजकल सब काम करने से पहले फूँक-फूँक कर कदम रखने चहिए ।
44. बगलें झोंकना (जवाब न दे सकना) – अध्यापक के प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकने पर सुखबीर बगलें झाँकने लगा ।
45. लगा में भंग डालना (आनंद में बाधा) – इतना अच्छा मैच हो रहा था कि वर्षा ने रंग में भंग डाल दिया ।
46. लोहा लेना (डट कर टक्कर लेना) – चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस से लोहा लिया और बहुमत से विजय प्राप्त की ।
47. श्री गणेश करना (प्रारम्भ करना) – परीक्षाओं के सिर पर आते ही रमन ने पड़ने का श्रीगणेश कर दिया ।
48. हक्का-बक्का रहना (आश्चर्य चकित होना) – अपने शत्रु को अपने घर आया देखकर मनजीत हक्का-बक्का रह गया ।
49. हाथ मलते रह जाना (पछताना) -सारा साल इन्द्रजीत पढ़ी नहीं । परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाने पर हाथ मलते रह गई ।
50. हाथों के तोते उड़ जाना (बहुत व्याकुल तथा शोकग्रस्त होना) -पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर उसके हाथों के तोते उड़ गए